डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की संभावना को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए समीकरण बनते नजर आ सकते हैं। उनके नेतृत्व में अमेरिका ने चीन के बढ़ते प्रभाव को घेरने के लिए नए गठबंधन बनाने की कोशिश की थी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ट्रंप सत्ता में आते हैं, तो भारत और रूस के पारंपरिक संबंधों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ती नजदीकी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती ने बीते वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे आयोजनों ने दोनों नेताओं के व्यक्तिगत समीकरण को भी उजागर किया। अगर ट्रंप फिर से सत्ता में आते हैं, तो यह रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।
रूस-भारत संबंधों पर असर?
भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी रक्षा और ऊर्जा साझेदारी है। लेकिन अमेरिका के दबाव और चीन के साथ रूस की नजदीकियों के कारण, भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप के कार्यकाल में रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगने की संभावना है, जिससे भारत को रूस से अपनी दूरी बढ़ानी पड़ सकती है।
पुतिन के लिए क्या होगा चुनौतीपूर्ण?
व्लादिमीर पुतिन के लिए ट्रंप-मोदी की दोस्ती एक चुनौती बन सकती है। भारत के पश्चिमी सहयोगियों के करीब जाने से रूस की दक्षिण एशिया में भूमिका कमजोर हो सकती है। हालांकि, पुतिन का चीन के साथ गठजोड़ इस क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेगा।
भारत के लिए क्या होगा रणनीतिक कदम?
भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाकर चलने की कोशिश करेगा। अमेरिका और रूस दोनों के साथ संबंध बनाए रखना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। लेकिन ट्रंप के सत्ता में लौटने से भारत-अमेरिका रक्षा और व्यापार संबंधों में और तेजी आ सकती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप की वापसी से वैश्विक राजनीति में क्या बदलाव आते हैं और भारत कैसे इन बदलावों को अपने हित में इस्तेमाल करता है।