गुजरात में एक बड़े साजिश का पर्दाफाश हुआ है, जहां एक फर्जी अदालत पिछले पांच वर्षों से संचालित हो रही थी। इस अदालत में सभी कर्मी, जिसमें जज, वकील और कोर्ट स्टाफ शामिल थे, नकली थे। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने इस फर्जी अदालत के बारे में जानकारी मिलने के बाद जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि यह अदालत एक ऐसे व्यक्ति द्वारा चलायी जा रही थी जो खुद को जज के रूप में प्रस्तुत कर रहा था। इस व्यक्ति ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक पूरी न्यायिक प्रणाली का ढांचा तैयार किया था।
फर्जी जज की पहचान शंकर रावल के रूप में हुई है, जो अपने आप को एक उच्च न्यायालय का जज बताता था। उसने फर्जी दस्तावेजों और साक्षात्कारों के माध्यम से लोगों को धोखा दिया।
पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें फर्जी जज, वकील और अन्य सहयोगी शामिल हैं। पुलिस ने अदालत के नकली दस्तावेज, मुहरें, और अन्य सामग्री जब्त की है, जिससे इस फर्जी अदालत के संचालन की पुष्टि होती है।
जांच में यह भी सामने आया है कि इस अदालत में कई फर्जी मामलों की सुनवाई की गई थी, और लोगों से पैसे भी वसूले गए थे।
इस घटना ने लोगों में भय और आश्चर्य की भावना पैदा की है। कई लोगों ने इस मामले को लेकर चिंता जताई है कि कैसे एक फर्जी अदालत इतनी लंबे समय तक संचालित हो सकी।
कानूनी विशेषज्ञों की राय: कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है और इसे सुधारने की आवश्यकता है ताकि ऐसे मामलों को रोका जा सके।