छठ पूजा 2024: वोट बैंक की राजनीति! दिल्ली में छठ घाटों को लेकर AAP और बीजेपी में घमासान, विवाद की वजह क्या है?

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दिल्ली में छठ पूजा के आयोजन को लेकर इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच सियासी संग्राम छिड़ गया है। छठ घाटों की संख्या, तैयारी और सुविधाओं को लेकर दोनों दलों के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। पूर्वांचली समुदाय, जो दिल्ली में बड़ा वोट बैंक माना जाता है, उसके समर्थन को लेकर यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया है। आइए जानते हैं इस विवाद के मुख्य कारण क्या हैं और इससे दिल्ली की राजनीति पर क्या असर पड़ सकता है।

विवाद की जड़ में क्या है?

  1. छठ घाटों की संख्या और तैयारी
    AAP सरकार का दावा है कि उन्होंने इस बार दिल्ली में छठ पूजा के लिए रिकॉर्ड संख्या में घाट बनाए हैं और वहां सभी सुविधाओं का इंतजाम किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि उनकी सरकार हर संभव कोशिश कर रही है कि छठ पूजा का आयोजन भव्य और सुरक्षित ढंग से हो। दूसरी ओर, बीजेपी का आरोप है कि छठ पूजा के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी गई हैं और सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है।
  2. वोट बैंक की राजनीति
    दिल्ली में लाखों की संख्या में पूर्वांचल से आए लोग रहते हैं और छठ पूजा उनके लिए एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है। AAP और बीजेपी, दोनों ही दल इस समुदाय के समर्थन को आकर्षित करने के लिए छठ पूजा के मुद्दे को उछाल रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि AAP सरकार केवल चुनावी फायदे के लिए छठ पूजा के नाम पर पूर्वांचली समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है, जबकि AAP का कहना है कि बीजेपी इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है और उनके प्रयासों को बाधित कर रही है।
  3. छठ घाटों पर सुरक्षा और सफाई का मुद्दा
    बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कई जगहों पर छठ घाटों की सफाई और सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं किए गए हैं। उनका दावा है कि सरकार को इस पवित्र त्योहार को गंभीरता से लेना चाहिए। वहीं, AAP सरकार ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए इंतजाम पहले के मुकाबले कहीं बेहतर हैं और लोगों को असुविधा न हो, इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं।

राजनीतिक बयानबाजी

छठ पूजा को लेकर इस बार नेताओं की बयानबाजी भी तेज हो गई है। बीजेपी के नेताओं ने इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन भी किया, और दिल्ली सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। दूसरी ओर, AAP के नेताओं ने बीजेपी पर इस मुद्दे को बेवजह बढ़ावा देने और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया है।

क्या है आगे का रास्ता?

दिल्ली के पूर्वांचली समुदाय की भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर जिस तरह से राजनीति हो रही है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और भी गरमा सकता है। चुनावी सीजन नजदीक है और दोनों दल इस मुद्दे पर अपने-अपने पक्ष को मजबूती से रखना चाहेंगे। हालांकि, इस बीच यह भी महत्वपूर्ण है कि इस सियासी लड़ाई के बीच छठ पूजा के आयोजन में किसी भी तरह की कमी न हो और भक्तों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।

छठ पूजा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार पर राजनीति करने से बचते हुए सभी दलों को मिलकर इसे सफल बनाने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान हो सके और पूर्वांचली समुदाय को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।