गौतम अडानी मामला: अमेरिका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का पूरा सच, जानिए क्या हैं आरोप और कौन-कौन शामिल

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गौतम अडानी केस पर नई चर्चा:
भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। अमेरिका से आई खबरों के अनुसार, अडानी समूह पर धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी और गलत जानकारी देने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस बार मामला सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसमें अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड का नाम आया है।

क्या है पूरा मामला?

न्यूयॉर्क की एक फेडरल कोर्ट ने अडानी समूह पर आरोप लगाया है कि उसने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट का ठेका पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (करीब 2110 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने की पेशकश की। इसके अलावा, आरोप है कि अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से इस पूरे लेन-देन को छिपाया गया।

गौतम अडानी पर लगे प्रमुख आरोप:

  1. अमेरिकी निवेशकों से धोखाधड़ी।
  2. सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए रिश्वत।
  3. भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की पेशकश।
  4. करीब 2110 करोड़ रुपये के गबन का आरोप।
  5. निवेशकों और बैंकों को गुमराह किया।
  6. 3 बिलियन डॉलर जुटाने के लिए झूठे दावे किए।

घोटाले का समय और लाभ

आरोपों के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच अडानी ग्रीन एनर्जी और अन्य कंपनियों ने मिलकर सोलर प्रोजेक्ट का ठेका पाने के लिए गलत तरीके अपनाए। इस प्रोजेक्ट से अडानी समूह को 20 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर का लाभ होने वाला था।

अमेरिकी अदालत में मामला क्यों दर्ज?

यह मामला अमेरिका में इसलिए दर्ज हुआ है क्योंकि इस प्रोजेक्ट में अमेरिकी निवेशकों का पैसा लगा था। अमेरिकी कानून के अनुसार, रिश्वत देना और इस तरह की गतिविधियां अपराध की श्रेणी में आती हैं।

कौन-कौन शामिल?

अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) के अनुसार, इस मामले में गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, विनीत जैन, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। इनमें एज्योर पावर के सीईओ रंजीत गुप्ता और अन्य कई बड़े अधिकारी शामिल हैं।

सियासी विवाद

इस विवाद ने भारत में राजनीतिक भूचाल ला दिया है। विपक्षी दलों ने अडानी पर तीखा हमला बोलते हुए उनकी गिरफ्तारी और मामले की जांच की मांग की है। शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने इसे भारत की विश्वसनीयता पर गंभीर धक्का बताया है।

अडानी समूह का जवाब

गौतम अडानी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी कंपनी ने कोई गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कानूनी मदद लेने और निवेशकों का भरोसा बनाए रखने की बात कही है।

यह मामला न केवल अडानी समूह के लिए बल्कि भारत की वैश्विक छवि के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है।