आज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देशभर में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन किया जा रहा है। यह दिन हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, और इसे विशेष रूप से नदी स्नान और दीपदान के लिए जाना जाता है। इस दिन को लेकर खासतौर पर उज्जैन के शिप्रा नदी में भव्य आयोजन होगा, जहां लाखों श्रद्धालु स्नान करेंगे और दीपों से आकाश को रोशन करेंगे।
शिप्रा नदी में पर्व स्नान
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिप्रा नदी में स्नान करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन को लेकर उज्जैन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। सुबह के समय लाखों लोग नदी के तट पर जुटेंगे और पुण्य लाभ के लिए शुद्ध स्नान करेंगे। शिप्रा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है, ऐसा विश्वास है। यहां के घाटों पर श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा रहेगा, जो इस पावन अवसर का लाभ लेने के लिए पहुंचेंगे।
दीपदान की परंपरा
कार्तिक पूर्णिमा की शाम को दीपदान की परंपरा का आयोजन होता है। इस दिन उज्जैन के महाकाल मंदिर के आसपास और शिप्रा नदी के किनारे दीपों की बत्तियां जलाकर पूजा अर्चना की जाती है। दीपदान का उद्देश्य नकारात्मकता और अंधकार से मुक्ति प्राप्त करना और जीवन में प्रकाश और शुभता का स्वागत करना है। इस दिन श्रद्धालु घरों और मंदिरों में दीप जलाते हैं और ईश्वर से अपने जीवन के हर पहलू में आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक माह की पूर्णिमा को विशेष रूप से वेद, धर्म और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इसे पुन्नम या बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार, मच्छेंद्रनाथ और भगवान शिव की पूजा का महत्व है। इसके अलावा, यह दिन गंगा स्नान के दिन के रूप में भी मनाया जाता है और इसे गोवर्धन पूजा और गोपाष्टमी जैसे अन्य धार्मिक आयोजनों से भी जोड़ा जाता है।
अद्भुत दृश्य और श्रद्धा का मिलाजुला माहौल
शिप्रा नदी के घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। जब सूर्यास्त के बाद दीप जलाए जाते हैं, तो नदी के पानी में उनकी परछाइयां बेहद मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती हैं। यह दृश्य न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, बल्कि शांति और आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास भी कराता है। इस दिन का वातावरण श्रद्धा, भक्ति और आस्था से भरा होता है।