अयातुल्लाह खामेनेई सुन लो! ब्लेड से भले मेरे होंठों की लिपिस्टिक खुरचवा दी पर मैंने कपड़े उतार दिए…ईरान-तुर्की सब नंगे

Spread the love

ईरान और तुर्की में महिलाओं के खिलाफ कड़े धर्मनिरपेक्ष और राजनीतिक नियमों का पालन करने की कड़ी कोशिशों के बावजूद एक नई आक्रामक पहल देखने को मिल रही है। भारत में पाकिस्तान और ईरान के कुछ दक्षिणपंथी नेताओं के खिलाफ एक नई लहर उठ रही है, खासकर महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों को लेकर। कुछ महिला एक्टिविस्टों ने ईरान और तुर्की के शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए एक मुखर और साहसी बयान दिया, जिसमें उन्होंने अपनी आज़ादी की बात की और धार्मिक और सामाजिक बंधनों को नकारा।

1. लिपिस्टिक से लेकर कपड़े तक, महिलाओं का विरोध बढ़ा

हाल ही में, एक महिला एक्टिविस्ट ने अपने विरोध का ऐलान करते हुए कहा कि भले ही ईरान के आयतुल्लाह खामेनेई ने उनके होंठों की लिपिस्टिक ब्लेड से खुरचवा दी हो, परंतु वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेंगी। इस आंदोलन के समर्थक दावा कर रहे हैं कि वे कपड़े उतारने का निर्णय ले चुकी हैं क्योंकि उनका मानना है कि अगर समाज और धर्म उन्हें अपने कपड़े पहनने की आज़ादी नहीं देता, तो वे खुद अपने तरीके से अपने शरीर और स्वतंत्रता का संरक्षण करेंगी। यह बयान राजनीतिक और सामाजिक बंधनों के खिलाफ एक मजबूत बयान के रूप में देखा जा रहा है।

2. ईरान और तुर्की में महिलाओं की स्थिति

ईरान और तुर्की में महिलाओं की स्थिति कई सालों से विवादों का विषय रही है। ईरान में महिलाओं को धार्मिक कानूनों का पालन करने के लिए सख्ती से कहा जाता है, जिसमें हिजाब पहनना और सार्वजनिक स्थलों पर पुरुषों से अलग रहना शामिल है। तुर्की में, हालांकि कुछ सुधार किए गए हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं के लिए सार्वजनिक जीवन में अपनी स्वतंत्रता के रास्ते अवरुद्ध होते हैं।

ईरान की महिलाओं ने पहले भी विरोध प्रदर्शन किए हैं, खासकर जब से महसा अमिनी की मौत ने एक बड़ा आक्रोश पैदा किया था। इस घटना के बाद से ईरान में महिलाओं के अधिकारों के लिए जारी संघर्ष में तेज़ी आई है, और इस समय कुछ महिलाएं हिजाब और अन्य सामाजिक प्रतिबंधों का विरोध कर रही हैं।

3. सार्वजनिक विरोध और महिलाओं का साहस

इन महिलाओं का कहना है कि चाहे उन्हें समाज या धर्म की ओर से किसी भी प्रकार की सजा का सामना करना पड़े, वे अपने अधिकारों के लिए खड़ी रहेंगी। उनके अनुसार, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है कि वे कैसे कपड़े पहनें और अपनी ज़िन्दगी के बारे में क्या निर्णय लें।

ईरान और तुर्की की महिलाएं अब खुद को इस सशक्त आंदोलन का हिस्सा बना रही हैं, जो सामाजिक और राजनीतिक बंधनों को तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

4. समाज और धर्म से चुनौती

यह बयान धार्मिक कट्टरपंथ और सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। इन महिला एक्टिविस्टों ने यह संदेश दिया है कि अब वे किसी प्रकार के बलात्कारी धार्मिक या राजनीतिक आदेश को नहीं मानेंगी, और उनकी लड़ाई सिर्फ अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों के लिए होगी।

5. संभावित प्रभाव और दुनियाभर में चर्चा

इस बयान ने न सिर्फ ईरान और तुर्की, बल्कि दुनियाभर में महिलाओं के अधिकारों पर एक नई बहस शुरू कर दी है। अगर यह आंदोलन जोर पकड़ता है, तो यह कई देशों में महिलाओं के अधिकारों के लिए एक बड़ा मोड़ हो सकता है, जहां पर धार्मिक और राजनीतिक प्रतिबंध महिलाओं की स्वतंत्रता को बाधित करते हैं।