बांग्लादेश की राजनीति में गरमाया माहौल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ़ कथित षड्यंत्र रचने और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को भारत से बड़ा झटका लगा है।
मामला क्या है?
मोहम्मद यूनुस पर बांग्लादेश में कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें वित्तीय अनियमितताएं और श्रमिक अधिकारों के उल्लंघन जैसे मामले शामिल हैं। बांग्लादेश सरकार ने हाल ही में यूनुस के प्रत्यर्पण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास तेज कर दिए थे।
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस पर आरोप लगाया है कि वे राजनीतिक अस्थिरता फैलाने और विदेशी ताकतों की मदद से बांग्लादेश की सरकार को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत का रुख
भारत ने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है।
- कूटनीतिक बयान: भारत ने स्पष्ट किया है कि यह मामला बांग्लादेश का आंतरिक मामला है और इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
- सहयोग पर विराम: बांग्लादेश द्वारा प्रत्यर्पण की अपील पर भारत ने फिलहाल कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया है।
यूनुस को समर्थन
मोहम्मद यूनुस को अमेरिका और यूरोप के कई संगठनों का समर्थन प्राप्त है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन समेत कई वैश्विक नेताओं ने उनके खिलाफ हो रही कानूनी कार्रवाइयों पर चिंता जाहिर की थी।
शेख हसीना की नाराजगी
भारत के इस तटस्थ रुख ने शेख हसीना सरकार को नाराज कर दिया है। बांग्लादेश के उच्च स्तरीय अधिकारियों ने इस पर अपनी असहमति जताई है और कहा है कि यूनुस को न्याय के कटघरे में खड़ा करना जरूरी है।
विशेषज्ञों की राय
- कूटनीतिक विशेषज्ञ: भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा सौहार्दपूर्ण रहे हैं, लेकिन इस मामले में भारत का तटस्थ रुख हसीना सरकार के साथ संबंधों में तनाव बढ़ा सकता है।
- राजनीतिक विश्लेषक: मोहम्मद यूनुस के मामले में अंतरराष्ट्रीय दबाव और बांग्लादेश सरकार के रुख के बीच भारत एक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
आगे क्या?
भारत के इस झटके के बाद बांग्लादेश सरकार को अपने प्रयासों की रणनीति बदलनी पड़ सकती है। वहीं, यूनुस के अंतरराष्ट्रीय समर्थन और कानूनी लड़ाई के चलते मामला और लंबा खिंच सकता है।