अंतरराष्ट्रीयराजनीति

लेबनान में पीएम और राष्ट्रपति ‘कागजी शेर,’ असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास?

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लेबनान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है, जिसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ‘कागजी शेर’ के रूप में चित्रित किया जा रहा है। इसके पीछे असली ताकत हिजबुल्लाह के पास होने की बात की जा रही है।

मुख्य बिंदु:

  1. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की स्थिति:
    • लेबनान में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की भूमिका अक्सर कागजी होती है, जिनके पास वास्तविक शक्ति की कमी होती है।
    • ये नेता कई बार अपने कार्यों और निर्णयों में सीमित होते हैं, और वास्तविक सत्ता की धारा कुछ अन्य शक्तिशाली समूहों और दलों के हाथ में होती है।
  2. हिजबुल्लाह की ताकत:
    • हिजबुल्लाह, लेबनान का एक प्रमुख शिया संगठन, जिसे सैन्य और राजनीतिक शक्ति के लिए जाना जाता है, देश में असली शक्ति का केंद्र बना हुआ है।
    • हिजबुल्लाह का प्रभाव लेबनान की राजनीति, सैन्य और सुरक्षा क्षेत्रों में काफी मजबूत है। इसके पास एक मजबूत सशस्त्र विंग और राजनीतिक समर्थन दोनों हैं।
    • संगठन के नेताओं की पकड़ स्थानीय और क्षेत्रीय राजनीति में भी गहरी है, जिससे हिजबुल्लाह को एक शक्तिशाली खिलाड़ी बना दिया है।
  3. सामरिक और राजनीतिक प्रभाव:
    • हिजबुल्लाह ने अपने सशस्त्र विंग के माध्यम से लेबनान के सुरक्षा परिदृश्य को प्रभावित किया है और यह एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है।
    • राजनीतिक प्रभाव के माध्यम से हिजबुल्लाह ने सरकार और अन्य राजनीतिक दलों पर दबाव बनाए रखा है, जिससे उसके हाथ में वास्तविक शक्ति बनी रहती है।
  4. आंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण:
    • हिजबुल्लाह की शक्ति और प्रभाव के चलते लेबनान की राजनीति और सुरक्षा पर आंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएँ भी बनी हुई हैं।
    • पश्चिमी और अन्य देशों द्वारा हिजबुल्लाह को आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी गई है, जो उसकी वैश्विक छवि और लेबनान की आंतरिक राजनीति पर प्रभाव डालती है।