भारत हाल ही में दुनिया के विभिन्न संघर्षों में एक ‘शांतिदूत’ की भूमिका निभा रहा है। चाहे यूक्रेन-रूस का युद्ध हो या इजरायल-हमास के बीच चल रहे संघर्ष, भारत ने संतुलित रुख अपनाते हुए शांति के पक्ष में आवाज उठाई है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में इन मुद्दों पर भारत की स्थिति स्पष्ट की और बताया कि भारत कैसे इन वैश्विक संकटों में शांति का संदेश दे रहा है।
यूक्रेन-रूस संघर्ष में भारत की भूमिका
भारत ने यूक्रेन-रूस संघर्ष के दौरान एक तटस्थ और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया है। भारत ने कई बार दोनों देशों से शांति और वार्ता के माध्यम से समस्याओं को हल करने का आग्रह किया है। भारत ने किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया, बल्कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तरीके से बातचीत के जरिए समाधान निकालने की वकालत की है। जयशंकर ने बताया कि भारत ने इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति के पक्ष में अपनी स्थिति को मजबूती से रखा है।
इजरायल-हमास संघर्ष में भारत का रुख
इजरायल और हमास के बीच हालिया संघर्ष में भी भारत ने अपनी कूटनीति और शांति का संदेश देने वाली नीति को जारी रखा है। भारत ने इस संघर्ष में निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा पर जोर दिया है और दोनों पक्षों से हिंसा को रोकने और शांति स्थापित करने की अपील की है। जयशंकर ने कहा कि भारत, इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का समर्थन करता है और इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस रुख को मजबूती से रखा है।
भारत की ‘शांतिदूत’ की छवि
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की शांतिदूत की छवि दुनिया में उसकी बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाती है। भारत का उद्देश्य दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना है, जिससे वैश्विक स्तर पर विकास और सहयोग को बढ़ावा मिल सके। इसके लिए भारत अपनी सशक्त कूटनीति और तटस्थ रुख के साथ लगातार प्रयासरत है।