- भारत ने नहीं लिया हिस्सा: कनाडा में हो रही यूक्रेन-सहायता बैठक से भारत ने दूरी बना ली है और इसके कारणों की जानकारी यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को दे दी है।
- निष्पक्षता की नीति पर बल: भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी वैश्विक मामलों में तटस्थ नीति है और वह किसी भी सैन्य संघर्ष में पक्ष नहीं लेता।
- भारत की प्राथमिकता शांति स्थापना: भारत ने एक बार फिर से दोनों देशों से शांति वार्ता और विवाद को बातचीत से सुलझाने की अपील की है।
पूरा समाचार:
कनाडा में आयोजित यूक्रेन समर्थन बैठक में कई देशों ने यूक्रेन के लिए सहायता की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन भारत ने इस बैठक से दूरी बनाकर अपनी तटस्थता बनाए रखी है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को सूचित किया कि उसकी नीति सभी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों पर आधारित है, और वह किसी भी संघर्ष में पक्ष लेने के बजाय शांति और संवाद को प्राथमिकता देता है।
भारत की तटस्थता का रुख: भारत लंबे समय से अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता आ रहा है और रूस-यूक्रेन संघर्ष के मामले में भी भारत ने हमेशा मध्यस्थता और शांति स्थापना का पक्ष लिया है। भारत का मानना है कि किसी भी संघर्ष का हल केवल कूटनीति और वार्ता से ही संभव है।
भारत का वैश्विक दृष्टिकोण: यूक्रेन और रूस दोनों के साथ भारत के मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध हैं। ऐसे में भारत किसी एक पक्ष का समर्थन करने के बजाय शांति बनाए रखने का आग्रह करता रहा है। भारत ने एक बार फिर से यूक्रेन और रूस को आपसी मतभेदों को बातचीत से सुलझाने का आग्रह किया है।