अंतरराष्ट्रीय

स्वीडन ने आप्रवासियों को देश छोड़ने के लिए दिया 34 हजार डॉलर का प्रोत्साहन, मुस्लिम आप्रवासी विशेष निशाने पर

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स्वीडन ने हाल ही में एक विवादास्पद घोषणा की है, जिसके तहत देश छोड़ने के लिए आप्रवासियों को 34 हजार डॉलर (लगभग 28.7 लाख रुपये) तक की वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव रखा गया है। यह कदम विशेष रूप से मुस्लिम आप्रवासियों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिनसे कहा गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मूल देशों में लौट जाएं। पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा के अनुसार, स्वीडन में इस नई नीति का लक्ष्य अधिकतर मुस्लिम आप्रवासियों को प्रभावित करना है।

स्वीडन, जिसे कभी “मानवीय महाशक्ति” के रूप में जाना जाता था, अब आप्रवासियों के एकीकरण में चुनौतियों का सामना कर रहा है। हाल के वर्षों में अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया और अन्य मुस्लिम-बहुल देशों से भारी संख्या में आए आप्रवासियों ने देश में सामाजिक और आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है।

स्वीडन की सरकार ने यह योजना 2026 में लागू करने का फैसला किया है, जिसमें स्वेच्छा से वापस जाने वाले आप्रवासियों को 350,000 स्वीडिश क्रोनर (लगभग 34 हजार डॉलर) की सहायता दी जाएगी। सरकार का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य आप्रवासियों को उनके अपने देश लौटने के लिए प्रेरित करना है, ताकि स्वीडन में जनसंख्या संतुलन बेहतर हो सके और स्थानीय संसाधनों पर दबाव कम किया जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि स्वीडन को आप्रवासियों को एकीकृत करने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रोजगार, शिक्षा और सामाजिक समायोजन जैसी कई चुनौतियों के चलते यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह कदम मुस्लिम आप्रवासियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और इसे धार्मिक सहिष्णुता के विपरीत माना जा रहा है।

स्वीडन की सरकार ने कहा है कि यह पहल स्वेच्छा पर आधारित है और किसी भी आप्रवासी को मजबूर नहीं किया जाएगा। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह आर्थिक प्रोत्साहन असल में अप्रत्यक्ष रूप से आप्रवासियों को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर सकता है।

अप्रवासियों के लिए यह नई नीति अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, और अन्य मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले लोगों के लिए एक कठिन निर्णय साबित हो सकती है, क्योंकि वे स्वीडन में शरण पाने की उम्मीद लेकर आए थे। अब यह देखना होगा कि इस योजना के लागू होने के बाद कितने आप्रवासी इसका लाभ उठाकर अपने देश लौटते हैं