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महाराष्ट्र चुनाव: वोट के बदले नोट कांड में भाजपा नेता विनोद तावड़े पर गंभीर आरोप, हंगामा जारी

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क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान से एक दिन पहले, भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।

  • आरोप:
    • तावड़े पर 5 करोड़ रुपये कैश बांटने का आरोप लगाया गया है।
    • मुंबई के विरार स्थित एक होटल में उन्हें बहुजन विकास अघाड़ी (BVA) के कार्यकर्ताओं ने घेर लिया।
    • होटल के बाहर हंगामा और अंदर बैठक का वीडियो वायरल हो चुका है।
  • कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया:
    • महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि पुलिस भाजपा को बचाने की कोशिश कर रही है।
    • प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-यूबीटी): भाजपा पर पैसे के दम पर वोट खरीदने का आरोप।
    • एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने कहा कि भाजपा जानबूझकर “पैसों के बल पर चुनावी नैतिकता का उल्लंघन” कर रही है।

कैसे हुआ विवाद शुरू?

  • बहुजन विकास अघाड़ी का दावा:
    • नालासोपारा विधानसभा क्षेत्र में एक होटल में तावड़े की बैठक के दौरान उनके पास बैग में 5 करोड़ रुपये होने का आरोप।
    • विधायक क्षितिज ठाकुर और उनके कार्यकर्ताओं ने होटल में हंगामा किया।
    • वायरल वीडियो में एक शख्स तावड़े के पास नोट दिखाते हुए नजर आ रहा है।

विनोद तावड़े की सफाई

  • तावड़े का बयान:
    • उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज किया।
    • मामले की पुलिस और चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की।
    • सीसीटीवी फुटेज की जांच से सच सामने लाने की बात कही।
    • तावड़े ने कहा कि वह केवल पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने होटल गए थे।

विपक्षी दलों का आरोप

  • चुनाव आयोग में शिकायत:
    • विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
    • “वोट के बदले नोट” के आरोपों के चलते भाजपा पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का आरोप है।

चुनाव पर असर?

  • यह विवाद महाराष्ट्र चुनाव के अंतिम चरण में भाजपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
  • विपक्ष इस घटना को जनता के बीच भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

निष्कर्ष

“वोट के बदले नोट” कांड महाराष्ट्र चुनाव का सबसे बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है। जहां भाजपा नेता विनोद तावड़े ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है, वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बना लिया है। अब सभी की नजरें चुनाव आयोग की जांच और 20 नवंबर के मतदान पर टिकी हैं।