भूटान, जो अपनी शांति और सादगी के लिए जाना जाता है, हाल के वर्षों में उस क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है जिससे भारत को काफी आपत्ति रही है। भूटान ने क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में जमकर निवेश किया है और इस क्षेत्र में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निवेशक देश बनकर उभरा है। यह उस समय हो रहा है जब भारत ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सख्त रुख अपनाया है और इसे लेकर कड़े नियम लागू किए हैं।
भूटान का बड़ा कदम:
भूटान ने क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में कदम रखते हुए इस उभरते हुए डिजिटल सेक्टर में काफी निवेश किया है। भूटान की सरकार और निजी कंपनियां ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में अपना दांव लगा रही हैं। भूटान ने न केवल क्रिप्टो मार्केट में निवेश किया है, बल्कि देश के कुछ हिस्सों में क्रिप्टो माइनिंग फार्म भी स्थापित किए हैं, जिससे यह छोटे देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ मिल रहा है।
भारत का सख्त रुख:
दूसरी तरफ, भारत ने क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ एक सख्त नीति अपनाई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई बार चेतावनी जारी की है और इसे देश की वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा माना है। भारत ने क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग और माइनिंग को लेकर कई नियम कड़े किए हैं और कराधान भी बढ़ाया है। भारत का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी अस्थिरता और अवैध गतिविधियां देश की वित्तीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
भूटान का क्रिप्टोकरेंसी में विश्वास:
भूटान ने क्रिप्टोकरेंसी को एक संभावित भविष्य के निवेश के रूप में देखा है। देश में हाइड्रोपावर की प्रचुरता होने के कारण, बिजली की कम लागत ने क्रिप्टो माइनिंग को और भी आकर्षक बना दिया है। भूटान का मानना है कि ब्लॉकचेन तकनीक और डिजिटल संपत्ति उनके देश के विकास के लिए एक नया रास्ता खोल सकती हैं, जिससे वह आर्थिक रूप से और मजबूत हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर भूटान का उदय:
भूटान अब क्रिप्टो निवेश में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल हो चुका है। अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों के बाद भूटान का नाम इस सूची में चौथे स्थान पर आता है। भूटान की इस रणनीति ने न केवल उसे आर्थिक लाभ दिलाया है, बल्कि उसने वैश्विक क्रिप्टो बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
भारत-भूटान संबंधों पर प्रभाव:
भूटान का यह कदम भारत के लिए एक नई चुनौती के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं। हालांकि, भूटान का यह निवेश भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत और भूटान की नीतियों में बड़ा अंतर है। भूटान की यह नीति संभवतः दोनों देशों के वित्तीय और व्यापारिक संबंधों पर असर डाल सकती है।