पाकिस्तान में जजों की नियुक्ति को लेकर शहबाज सरकार के फैसले पर हो रहा बवाल
पाकिस्तान में जजों की नियुक्ति को लेकर शहबाज शरीफ की सरकार के एक फैसले ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। इस फैसले को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और कानूनी संगठनों द्वारा विरोध और आलोचना की जा रही है, जिससे न्यायपालिका की स्वायत्तता और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं।
फैसले का विवरण
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने हाल ही में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करने का निर्णय लिया है। सरकार ने उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के लिए नए जजों की नियुक्ति के लिए एक नई समिति का गठन किया है।
- समिति का गठन: इस समिति में सरकार के वरिष्ठ सदस्य और कुछ पूर्व न्यायाधीश शामिल हैं। इसका उद्देश्य न्यायपालिका में नियुक्तियों की प्रक्रिया को सुधारना और पारदर्शिता लाना बताया गया है।
विरोध और आलोचना
इस निर्णय के बाद से विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार की आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है और इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ हासिल करना है।
- विपक्षी दलों का आरोप: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और अन्य विपक्षी दलों ने इस फैसले को ‘तानाशाही’ करार दिया है और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने इस समिति की गठन प्रक्रिया को ‘अराजकता’ और ‘भ्रष्टाचार’ से भरा हुआ बताया है।
कानूनी संगठनों की प्रतिक्रिया
कई कानूनी संगठनों ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म कर देगा।
- मानवाधिकार संगठनों की चिंताएँ: मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से अपील की है कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस विवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी निगाहें टिकी हुई हैं। कुछ देशों ने पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है और सरकार से आग्रह किया है कि वह न्यायपालिका के अधिकारों का सम्मान करे।