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क्या बांग्लादेश पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है? भारत के लिए बढ़ीं चिंताएं

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पाकिस्तानी जहाज का बांग्लादेश पहुंचना: ऐतिहासिक लेकिन विवादास्पद

11 नवंबर 2024 को पहली बार पाकिस्तान का मालवाहक जहाज चटगांव पोर्ट पर उतरा। यह घटनाक्रम 1971 के युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच बढ़ती दूरी के बावजूद एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं।


बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव

  • पाकिस्तानी जहाज का आगमन:
    जहाज “Yuan Xiang Fa Zhan” कराची से कच्चा माल और खाद्य पदार्थ लेकर बांग्लादेश पहुंचा।
    पहले पाकिस्तान का सामान श्रीलंका, मलेशिया या सिंगापुर के रास्ते पहुंचता था, लेकिन अब सीधे संपर्क की शुरुआत हुई है।
  • पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने का प्रयास:
    अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान से आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील दी। यह कदम भारत को असहज करने वाला है, खासकर जब बांग्लादेश के इतिहास में पाकिस्तान का दर्दनाक अतीत जुड़ा हुआ है।

1971 के युद्ध और बांग्लादेश की पहचान

  • क्रूर अतीत:
    1971 में पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में लाखों लोगों की हत्या और महिलाओं के साथ अत्याचार किए।
  • भारत का सहयोग:
    भारत ने बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों की मदद की, जिसके बाद बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
  • शेख हसीना की भूमिका:
    हसीना सरकार ने पाकिस्तान से दूरी बनाए रखी और भारत के साथ मजबूत रिश्ते स्थापित किए।

यूनुस सरकार का पाकिस्तान के साथ नजदीकी का कारण

  • भारत विरोधी भावना का उभार:
    हसीना सरकार के दौरान भारत के प्रति जनता के एक वर्ग में नाराजगी देखी गई। अगस्त में ढाका में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र पर हमले ने इस भावना को उजागर किया।
  • धर्मनिरपेक्षता पर संकट:
    यूनुस सरकार में संविधान से “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” को हटाने का प्रस्ताव दिया गया। इससे बांग्लादेश के इस्लामीकरण की आशंका बढ़ी है।
  • पाकिस्तान की भूमिका:
    ISI बांग्लादेश के बदलते रुख के पीछे हो सकती है। यह एजेंसी पहले भी भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बांग्लादेश का इस्तेमाल करती रही है।

भारत के लिए खतरे

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा:
    • ISI चटगांव बंदरगाह का उपयोग भारत में अशांति फैलाने के लिए कर सकती है।
    • 2004 में यहां से ISI की ओर से प्रतिबंधित संगठनों को गोला-बारूद भेजने की कोशिश पकड़ी गई थी।
  2. पूर्वोत्तर भारत पर असर:
    • बांग्लादेश का भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से करीबी जुड़ाव है।
    • यहां बढ़ती पाकिस्तान-बांग्लादेश नजदीकी से आतंकी गतिविधियों का खतरा बढ़ सकता है।

क्या कहता है यूनुस प्रशासन?

मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि नई दिल्ली और ढाका के रिश्ते “बेहद करीबी” रहेंगे। लेकिन उनके नेतृत्व में उठाए गए कदम बांग्लादेश की विदेश नीति और भारत के साथ उसके संबंधों पर नए सवाल खड़े कर रहे हैं।


निष्कर्ष

बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच सीधे समुद्री संपर्क और यूनुस सरकार के पाकिस्तान की ओर बढ़ते झुकाव ने क्षेत्रीय राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। भारत के लिए यह स्थिति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी चुनौतीपूर्ण है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस बदलते परिदृश्य में कैसे प्रतिक्रिया देता है।