ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत ने भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए हैं।
बैठक का उद्देश्य
यह बैठक इस तनाव के कारणों और संभावित प्रभावों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई है। सुरक्षा एजेंसियों को संभावित खतरों के बारे में अपडेट दिया जाएगा और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए रणनीतियों पर विचार किया जाएगा।
भविष्य की चुनौतियाँ
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष का प्रभाव सीधे तौर पर भारत पर पड़ सकता है, खासकर यदि इस क्षेत्र में स्थिति और बिगड़ती है। भारत को अपनी सुरक्षा और विदेशी नीति को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सुरक्षा तैयारियाँ
बैठक के दौरान, सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं। इसके अलावा, भारत के संभावित प्रतिकूल प्रभावों का भी आकलन किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस बैठक का महत्व इसलिए भी है क्योंकि ईरान-इजरायल तनाव केवल क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव हो सकता है। भारत, जो कि एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी है, को इस स्थिति के प्रति सजग रहना होगा।
आगामी कदम
प्रधानमंत्री ने बैठक के बाद कहा कि भारत अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देगा और इस संबंध में सभी आवश्यक उपाय किए जाएंगे। उन्होंने नागरिकों से भी धैर्य और सहयोग की अपील की है।