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पटना में BPSC अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, परीक्षा रद्द करने की मांग पर हंगामा

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BPSC परीक्षा विवाद: पटना में अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज

बिहार की राजधानी पटना में BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) के 70वें परीक्षा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आयोग के मुख्यालय के बाहर इकट्ठा होकर परीक्षा रद्द करने की मांग की। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

क्यों हो रहा है प्रदर्शन?

BPSC के 70वें परीक्षा में अनियमितताओं और प्रश्न पत्र लीक के आरोपों को लेकर अभ्यर्थी काफी नाराज हैं। प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा में पारदर्शिता की कमी है और इसे तुरंत रद्द कर दोबारा आयोजित किया जाना चाहिए। उनका आरोप है कि आयोग ने उम्मीदवारों के साथ न्याय नहीं किया।

पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच टकराव

प्रदर्शन के दौरान जब अभ्यर्थियों ने आयोग के गेट पर नारेबाजी शुरू की, तो पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की। इसके बाद स्थिति बिगड़ गई और पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। इस दौरान कई अभ्यर्थी घायल हो गए।

घटनास्थल का माहौल

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात था। प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। घायल अभ्यर्थियों को अस्पताल ले जाया गया। पुलिस का कहना है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।

BPSC की प्रतिक्रिया

बिहार लोक सेवा आयोग ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि परीक्षा पूरी तरह पारदर्शी तरीके से आयोजित की गई थी। आयोग ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखें।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर राजनीतिक दल भी कूद पड़े हैं। विपक्षी दलों ने बिहार सरकार और BPSC पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि छात्रों की मांगों को सुना जाना चाहिए और अनियमितताओं की जांच होनी चाहिए।

अभ्यर्थियों का क्या कहना है?

प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे पीछे नहीं हटेंगे। उनका आरोप है कि प्रशासन उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है।

निष्कर्ष

BPSC 70वीं परीक्षा को लेकर पटना में हुआ प्रदर्शन बिहार में बढ़ते असंतोष को दर्शाता है। पुलिस लाठीचार्ज और छात्रों की नाराजगी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। अब देखना यह है कि सरकार और आयोग इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं।